Monday, April 2, 2012

Hausla Buland

जैसे कंधे पे इक दोस्त का हाथ हो 
जैसे  लफ्ज़ो पे दिल की हर एक बात हो
जैसे आखोँ से चिंता की चिलमन हटे
जैसे मिट जाए हर ग़म कुछ इतना घटे
जैसे राहोँ में सपनो की कलियाँ खिले
जैसे दिल में उजालो के दरिया बहे
जैसे तन-मन कोई गीत गाने लगे
जैसे सोई हुई हिम्मत अंगडाई ले
जैसे जीना ख़ुशी की कहानी लगे
जैसे खुल जाए रस्ते अब तक थे बंद

हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला जैसे आस्मां से हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला जैसे आस्मां से हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद

हो बुलंद.....

कवि -- श्री जावेद अख्तर 



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